मशहूर चित्रकार हुसैन ने आखिर अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर दिया. मुंबई के एक दैनिक अख़बार में यह खबर पढ़कर न हमें आश्चर्य हुआ और न ही सदमा लगा लेकिन उनका यह व्यवहार हमें अतिरंजित व पूर्वाग्रहों से ग्रस्त जरूर लगा. अब वो भारत के नागरिक नहीं रहे. यह वही देश है जिसने उन्हें इतनी उचाइयो तक पहुचाया व अन्तराष्ट्रीय ख्याति दिलाई. यह वही देश है जहा पर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक विज्ञापन होर्डिंग्स के मामूली पेंटर के रूप में की और विकास की पायदान चढ़ते हुए एक दिन उस मुकाम पर पहुचे कि उनकी पेटिंग्स करोडो में बिकने लगी. अपनी कुछ विवादास्पद रचनाओ के लिए उन पर कई सारे मुकदमे दर्ज हुए और इन्ही के चलते एक दिन उन्हें यह देश छोड़कर जाना पड़ा और निर्वासित की जिंदगी बिताने लगे. 95 साल के एक प्रतिष्ठित कलाकार के लिए देश छोड़ना एक मुश्किल निर्णय जरूर रहा होगा लेकिन भारतीय नागरिकता को छोड़ना, वो भी उस समय जब उनके खिलाफ सारे मुकदमे वापिस ले लिए गए हो, अतिवादी जरूर लगता है. यहाँ की सरकार ने उन्हें यह भी भरोसा दिलाया था कि यदि वे भारत वापस लोटते है तो उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया जायेगा लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपना फैसला नहीं बदला.
यहाँ के बुद्धिजीवियों को उनका यह फैसला शायद उचित न लगे लेकिन क्या यह जरूरी है की हम उनके इस निर्णय पर आंसू बहाए ? क्या हम इस बात के लिए शर्मिंदा हो कि एक भारतीय कलाकार को दूसरे देश में अपना आशियाना तलाश करना पड़ रहा है ? शायद नहीं. एक ऐसा कलाकार जो हमेशा दोहरी नीति अपनाता था चाहे वो चित्रकारी हो या फिल्म निर्माण. हिन्दू देवी देवताओ की नग्न तस्वीरे बनाकर (कृपया उपरोक्त तस्वीर देखे जिसमे नग्न माँ दुर्गा को शेर के साथ आपत्तिजनक अवस्था में चित्रित किया गया है) उन्होंने अपने भीतर छिपी द्वेष व घृणा की भावना को उजागर किया. हिन्दुओ द्वारा उठाई आपत्ति पर कभी एक्सप्लेनेशन तक देना जरूरी नहीं समझा लेकिन इसी तरह के दुसरे विषयों पर मुस्लिमो की आपत्ति के मद्देनज़र उन्होंने तुरंत माफ़ी मांगने से परहेज नहीं किया. ऐसा भेदभाव क्यों ? एक कलाकार को धार्मिक भावनाओ की क़द्र करनी आनी चाहिए. उसके लिए सब धर्म समानता का हक़ रखते है. हुसैन एक महान कलाकार है ओर एक महान कलाकार से अपेक्षा की जाती है कि वो अपनी कला के माध्यम से प्रेम और सोहार्द्र का सन्देश दे ना कि नफरत का.
इस देश में कलाकारों की कोई कमी नहीं. कला व चित्रकारी हुसैन पे ख़त्म नहीं होती. उसके आगे भी दुनिया है. हुसैन अगर देश छोड़ के जाना चाहते है तो बेशक जाये. भारत उनकी कला का मोहताज नहीं. कोई भी कलाकार जन-भावनाओ से ऊपर नहीं होता. हम उनके इस निर्णय से न तो आहत है न शर्मिंदा. हुसैन अगर यह समझते है कि नागरिकता छोड़कर वो भारत को बहुत बड़ा झटका दे देंगे तो ग़लतफ़हमी में है. मुर्गा अगर बांग नहीं देगा तो क्या सुबह नहीं होगी ?
3 comments:
इस चित्रकार(?) ने हिन्दुओं का अपमान करने के अलावा किया ही क्या है.
हिन्दुओं की धार्मिक आस्था पर जिस प्रकार हुसैन ने आक्रमण किया उस से इंसानियत शर्मसार हुई है। कोई कलाकार खुद को चर्चा मे लाने के लिए इस प्रकार की हरकत करे जो दो धार्मिक सम्प्रदायों के बीच घृणा बढाने का काम करे और देश का कानुन चुप रहे यह बहुत बडी विडम्बना है। डेनमार्क मे हिंसा-प्रेमी मोहम्मद का कार्टुन बनाने पर विश्व भर मे दंगे मचा कर हजारो ईसाईयो का क्त्ल कर देने वाला मुस्लीम समाज को हिन्दुओ के विरोध से कोई परेशानी नही होनी चाहिए । हुसैन के घृणित कार्य के लिए उसे कडा दण्ड दिया जाना चाहिए । देश से पलायन मात्र से कुछ नही होने वाला।
this man M.F. Hussain has played with the feelings of lots of indians. he has made a joke to our hindu gods and godesses. and still the indain government not taking any action against him....this is so sahmeful. yes sir u r telling the right thing that paiting doesn't end on Hussain..!! a lot of better than him.
He should be punished hard.
He should be hanged till death......!!!!!!
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